सदियों से भारत वर्ष में संस्कृत शिक्षा के दो ही केंद्र रहे हैं एक काशी तो दूसरा कश्मीर। बात अगर बनारस की हो तो इसे गंगा जमुनी संस्कृति का ध्वजवाहक माना गया है। यह काशी ही है जहां के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संस्कृत विद्वान प्रो नाहिद आबीदी को सरकार ने संस्कृत भाषा में उनके योगदान के लिए 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की छात्रा शाहिना को 2016 में खुद प्रधानमंत्री ने बीएचयू का गोल्ड मेडल दिया। लेकिन पिछले दिनों जब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संस्थान में असोसिएट प्रोफेसर के पद पर फिरोज खान की नियुक्ति हुई तो कुछ छात्रों ने उसका विरोध शुरू कर दिया।
गत 6 नवंबर को हुई फिरोज़ खान की नियुक्ति के बाद छात्रों का एक गुट विरोध प्रदर्शन कर रहा है विश्वविद्यालय प्रशासन बार बार यह कह रहा है कि नियुक्ति में किसी तरह की कोई अनियमितता नहीं बरती गई है। इसी बात को कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने भी कहा, कि विश्विद्यालय के धर्म विद्या विज्ञान संस्थाने में की गई फिरोज खान की नियुक्ति पूरी तरह से जायज है। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है।
फिरोज खान, जो संस्कृत में डॉक्टरेट हैं, बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (एसवीडीवी) में 6 नवंबर को नियुक्त किए गए थे। तब से, प्रदर्शनकारी छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया है और कुलपति के कार्यालय के बाहर धरना दिया। वे खान की नियुक्ति को रद्द करने की मांग करते हुए दावा करते हैं कि “एक मुस्लिम उन्हें अपना धर्म नहीं सिखा सकता है”।
पत्रकारों से हुई बातचीत में खान ने कहा कि वह कक्षा 2 से ही संस्कृत सीख रहे है। उसके पिता और दादा जी भी संस्कृत सीख चुके थे और राजस्थान में भक्ति भजन गाया करते थे। लेकिन यह पहली बार है जब उन्हें अपने धर्म के कारण इस प्रकार के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
एक्टर और बीजेपी के पूर्व सांसद परेश रावल ने भी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में संस्कृत फैकल्टी में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर ट्वीट किया है।अपने ट्वीट में परेश रावल ने लिखा, ‘मैं प्रोफेसर फिरोज खान कि नियुक्ति को लेकर हो रहे विरोध से स्तब्ध हूं। भाषा का धर्म से क्या लेना-देना है। यह तो विडंबना ही है कि प्रोफेसर फिरोज खान ने अपनी मास्टर और पीएचडी संस्कृत में की है। भगवान के लिए यह मूर्खता बंद की जानी चाहिए।’
विश्वविद्यालय की 30 छात्र पिछले 12 दिन से धरने पर बैठे है, उनका कहना है कि जबतक उनकी मांग नहीं मानी जाती वे प्रदर्शन नहीं ख़त्म करेंगे।