नयी दिल्ली (एजेंसी/वार्ता): गैर सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल परिसर में “विश्व शौचालय दिवस” के अवसर पर शनिवार को स्वच्छता से संबंधित एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें स्वच्छता विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने शौचालयों के उपयोग और सुरक्षित स्वच्छता के प्रति जन जागरुकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस कार्यक्रम में विद्वानों और स्वच्छता विशेषज्ञों द्वारा 2030 तक सभी लोगों के लिए पर्याप्त और समान स्वच्छता और स्वच्छता तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सुलभ इंटरनेशनल के योगदान पर चर्चा की गयी।
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने इस संगोष्ठी को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विश्व शौचालय दिवस उन सभी लोगों के लिए जागरुकता फैलाने का दिवस है, जिनकी पहुंच अब तक शौचालय तक नहीं है जबकि पानी और स्वच्छता मानवाधिकार है। डॉ. पाठक ने कहा,“ शौचालय सिर्फ एक शौचालय नहीं है बल्कि यह एक जीवन-रक्षक, गरिमा-रक्षक और अवसर-निर्माता है। हम जो भी हैं, जहां भी हैं, स्वच्छता हमारा मानवाधिकार है।” डॉ. पाठक ने ‘स्वच्छता अभियान’ की सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता के बिना कोई गरीबी से बाहर नहीं निकाल सकता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच सुरक्षित शौचालय तक होना चाहिए और इससे किसी को वंचित नहीं रहना चाहिए। दुनिया में 2.6 अरब लोगों को अभी तक उचित स्वच्छता से वंचित हैं।” डॉ. पाठक ने कहा कि सुलभ परिवार के लिए विश्व शौचालय दिवस अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाने और स्वच्छता के लिए जागरुकता फैलाने का एक अवसर है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन स्वच्छता स्वयंसेवकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्रों को स्वच्छता के महत्व पर जागरुकता फैलाने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करते हैं और उन लोगों तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जो अभी भी इससे वंचित हैं।
इस संगोष्ठी में शिक्षाविद डॉ. मनीषा प्रियम, जीसस एंड मेरी कॉलेज की प्राचार्य प्रो. रीना मारवाह, श्री कुलवंत सिंह और डॉ. एन बी मजूमदार जैसे स्वच्छता विशेषज्ञ भी शामिल हुए और स्वच्छता संबंधी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। संगोष्ठी के अलावा, दिल्ली के विभिन्न स्कूलों के स्वच्छता क्लबों और छात्रों ने स्वच्छता और स्वच्छता संबंधी जागरुकता फैलाने के लिए वॉकथॉन और अन्य गतिविधियों का आयोजन किया।
सुलभ इंटरनेशनल, समाजशास्त्री और समाज सुधारक डॉ. पाठक के मार्गदर्शन में पिछले 52 वर्षों से स्वच्छता और ‘सभी के लिए शौचालय’ सुनिश्चित करने में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहा है। इस संस्थान ने पांच दशकों में स्वच्छता प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विभिन्न तकनीकों का विकास और आविष्कार किया है।
-एजेंसी/वार्ता
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