अमेरिका में मैसेच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी के विज्ञानियों ने यह दावा किया है कि एक विशेष प्रकार के ऑटिज्म का निदान करना अवश्य संभव है। जीन शेंक-3 मस्तिष्क के विकास में अहम भूमिका अदा करता है। प्रयोग चूहों पर किया गया, परिणाम सकारात्मक रहे। विज्ञानियों के अनुसार इस जीन को मस्तिष्क के खास हिस्से (स्ट्रियाटम) में कोशिकाओं के बीच पाया गया।
घनत्व कम पाया गया: यह वह स्थान है जहां न्यूरांस एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं, परस्पर व्यवहार करते हैं। ऑटिज्म के कुछ मामलों में पाया गया कि संकेत प्रसारित करने के लिए स्नायु कोशिकाओं का घनत्व बेहद कम होता है। चूहे पर किए गए प्रयोग में इस विशेषष जीन को सक्रिय किया गया। इसके लिए चूहे के भोजन में विशेषष दवा टेमोक्सीफेन मिलाई गई।
क्रियाएं मापी गईं:
इसके बाद दिमागी क्रियाएं मापी गईं। विज्ञानियों ने पाया कि दिमाग के खास हिस्से में स्नायु कोशिकाओं की अत्यधिक सघनता पाई गई। चूहा पहले से बेहतर व्यवहार कर रहा था और ऑटिज्म के लक्षण भी गायब हो गए। इस प्रयोग के मानव पर दोहराए जाने से बेहतर परिणाम आने की विज्ञानियों ने उम्मीद जाहिर की है।
लचीलेपन का फैक्टर:
मानव मस्तिष्क में भी यदि ऐसा ही लचीलापन (प्लास्टिसिटी)मिला तो चूहे का प्रयोग सटीक असर दिखाएगा। ऐसा होने पर जीन एडिटिंग से एक दिन मस्तिष्क का संवर्धन करना संभव हो सकेगा, विश्व के लाखों लोगों को ऑटिज्म से मुक्ति दिलाई जा सकेगी। इस शोध का नेतृृत्व प्रोफेसर गूपिंग ने किया, शोध का प्रकाशन साइंस जर्नल नेचर में हुआ।